ज़िन्दगी जीता कौन है
ज़िन्दगी जीता कौन है
ज़िंदगी जीता कौन है झेलना पड़ता है,
डालकर होठों पर मुस्कुराहट का पर्दा
सबसे मिलना पड़ता है।
हर सख़्श जल रहा है अंदर से,
फिर भी ज़ुबां पे मिठास घोलना पड़ता है,
किससे कहें दर्द_ए_ग़म...
कोई सुनता ही नहीं,
घुँट-घुँट कर हर दर्द सहना पड़ता है।
