घात
घात
तुमने जो दिल पर घात किया
इसका कोई इलाज़ नहीं
पर हमने भी कसम खाई
अब हम उफ तक न करेंगे।
तुम्हारी हर चोट को
प्रेरणा का स्रोत समझ
आगे बढ़ चलेंगे।
तेरे हर कटु शब्द को
जीने का सहारा बना
नूतन रास्ता ढूँढ़ लेंगे।
तुम्हारी बेवफाई को हम
बड़ी वफा से निभाएँगे।
तुम देखना हम
जिंदा रह कर दिखाएँगे।
अपने को ही नहीं
अपनी सुताओं को भी
जीने का नया अंदाज सिखाएँगे
रास्ते के पत्थर को
अपने दर्द की ताकत से हटाएँगे
दुनिया के तरकशों से न घबराएँगे।
तुम ने भंवर में नाव छोड़ी है
हम वहाँ से भी मोती बनकर निकल आएँगे।
तुमने हमारे लिए जो मरुस्थल बिछाए
हम वहाँ भी फुलवारी लगा देंगे।
तुम्हारे दल-दल में न फँसेंगे,
अब हम अपनी जमी स्वयं स्थापित कर
उसे महका कर दिखा देंगे।
तुम्हारे दुर्व्यवहार से
अब न ये नयन गीले होंगे।
अब तो आँसू सूख-सूख शोला होंगे
और एक दिन दुनिया को उज्ज्वल करेंगे।
तुम्हारे क्रोध की अग्नि को संजो कर
ऊर्जावान कर उड़ जाएँगे।
