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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

ओ साकी

ओ साकी

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जी भर मुझे पीने दो न

मज़ाक करों न यूँ साकी 

छोटा सा ये जीवन बंधू, 

किसी चीज का,

अब रह न जाऊँ मैं अभिलाषी।


रंग चढ़ जाये देशभक्ति का

बना प्याला ओ साकी 

घोल दे उसमे जीवन त्याग को

देश-सेवा में जाए जान बाकी।


जाम बना दे इतना गहरा

बन जाऊँ मैं निस्वार्थी 

जाति-पाति मिटा के सारी

इंसान बने सब जज्बाती।

 

घोल पीला दे सभी धर्म को

एक धर्म बने हर देशवासी 

अपना-पराया भूल के सारे

हिंदुतानी कहलाए सब देशवासी।


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