ओ साकी
ओ साकी
जी भर मुझे पीने दो न
मज़ाक करों न यूँ साकी
छोटा सा ये जीवन बंधू,
किसी चीज का,
अब रह न जाऊँ मैं अभिलाषी।
रंग चढ़ जाये देशभक्ति का
बना प्याला ओ साकी
घोल दे उसमे जीवन त्याग को
देश-सेवा में जाए जान बाकी।
जाम बना दे इतना गहरा
बन जाऊँ मैं निस्वार्थी
जाति-पाति मिटा के सारी
इंसान बने सब जज्बाती।
घोल पीला दे सभी धर्म को
एक धर्म बने हर देशवासी
अपना-पराया भूल के सारे
हिंदुतानी कहलाए सब देशवासी।
