रिश्ते
रिश्ते
एक मुट्ठी में बंद मोतियों से थे रिश्ते हमारे,
कितने पावन,कितने प्यारे।
जाने क्या हो रहा है ऐसा,
जो इन मोतियों को कांच में बदल रहा है।
दो पल अपने व्यस्त जीवन से निकालिए,
और सोचिए कि,
आखिर पुल कहां से टूटा है,
और इसे कैसे जोड़ा जाएगा।।
रिश्तों को बिखरने से पहले ही,
समेट लेना अक्लमंदी है,
वरना दुनिया के बाज़ार में,
रिश्तों की मंदी है।।