शान _ए_वतन
शान _ए_वतन
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धरती और गगन में,
जीवन के नवसृजन में,
कर दें एक विस्तार,
हम गरजे दे हुंकार।
आज मचाएं शोर,
करें रैन और भोर
एक उल्लास जगाएं,
दूर गगन तक जाएं।
नाच उठे हम झूम के,
धरती मां को चूम के,
सारे मिलकर गाएंगे,
विजय का नारा लगाएंगे,
देश के मस्तक पर,
विजय तिलक लगाएंगे।
दुश्मन को दूर भगाएंगे,
रक्षक हम कहलाएंगे।
