यहाँ जज्बातों का मेला है
यहाँ जज्बातों का मेला है
ये दुनिया की कैसी रीति,
यहां जज्बातों का मेला है।
चाहे सब हों अपने साथ,
फिर भी मन अकेला है।।
चाहे सुख हों,चाहे दुख हों,
यहां कौन किसी का अपना है।
अपने जज्बातों को बांट सकें,
ये आज के युग में सपना है।।
भावनाओं के इस अथाह समंदर में,
चलो आज मिल गोते लगाते हैं।
मीठे सुख के,कड़वे दुख के,
सीप,हीरे, मोती लाते हैं।।
सम्मान करो एक दूजे का,
मिल, हंस बोल के बैठो ना।
अपने खुशियों की गठरी को,
सबके संग में बांटो ना।।
दुख की ये जो चादर झीनी,
इसको उतार के डालो ना।
अपने मन के इस मंदिर में,
एक खुशी का दीया जला लो ना।।
एक गीत खुशी का गा लो ना।
एक गीत खुशी का गा लो ना।।
