दर्द _ए _इश्क
दर्द _ए _इश्क
बिना कुछ कहे,
आंखों से समझने वाले।
ज़रा सा मेरे रूठने पर,
प्यार से मनाने वाले।
बेफिक्री की नींद से,
ना जगाने वाले ।
जाने कहां गए?
जाने कहां गए?
कहां गया वो,
दिलकश हसीन साथ।
जिसके साथ,
जागते थे सारी रात।
ना कोई फ़िक्र,
ना कोई बात,
पर मन में थे,
ढेरों जज़्बात।
जाने कहां गए?
जाने कहां गए?
एक तेरे जाने से,
जिंदगी वीरान हो गई।
जाने कब सुबह हुई,
जाने कब शाम हुई।
पता नहीं गलती,
तेरी थी या मेरी थी।
जाने कहां गए?
जाने कहां गए?
क्या लौटा सकते हो,
वो खूबसूरत दिन।
फिर से इक बार,
क्या हो सकते हैं,
इस अंतहीन उदासी में,
फिर तेरे दीदार,
ताकि ना कहना पड़े मुझे,
जाने कहां गए,
जाने कहां गए?