बंदिशें
बंदिशें
तोड़ कर सारी बंदिशें
ऐ दिल
क्यों तू इतना आज़ाद हो गया
चला था करने आबाद उन्हें
ऐ नादान
क्यों तू खुद बर्बाद हो गया
तू ज़रा ज़रा उन्हें बचाता
मगर खुद
ज़र्रा ज़र्रा बिखर गया
मालूम था, तू बहुत मज़बूत है
फिर अपना अंजाम देखकर
क्यों तू सिहर गया
तू रोज़ उन्हें हँसाता
फिर भी क्यों
खुद को अकेला पाया
हाँ, तुझे भी हँसना अच्छा लगता है
फिर इन आँखों से
क्यों तू आँसू बहा गया
तोड़ कर सारी बंदिशें
ऐ दिल
क्यों तू इतना आज़ाद हो गया।