मेरा भारत महान हैं,
मेरा भारत महान हैं,
मेरा भारत महान हैं,
आज ये एक सवाल हैं
क़ोने-क़ोने पे जहां,
अमन और अहिंसा का भार था
वहा हर मन में आज हिंसा पनपी,
राह आसान एक अभिमान हैं
वो एक एक ढोर जोड़कर, बुना भारत महान था
आज टुकड़ों मे है अपनो के ही
आज बस ये एक सवाल हैं
बिना बंदूक़ बिना ख़ून
जिसने लड़ा संसार से
आज वो भी होगा आँसुओं में
कि करा किसको आज़ाद है
हर दिन जहाँ हो रहे बलात्कार हैं
हर दूसरी साँस जहाँ आम बात है
हर झूट पहचान है
सच को दाबा बैठा वो एक नाग हैं
जहाँ हर रोज़ एक मौत
एक अभिमान कि बात है
जहाँ ख़ुशियों से ज़्यादा
पैसों का हिसाब है
जहाँ औरत को मारना
मर्द होने कि पहचान हैं
जहाँ मानव नहीं दानव बना बैठा
इंसान हैं
जहाँ हिंदू-मुस्लिम कि लड़ाई में
भारत एक जंग का मैदान हैं
जहाँ ना कोई ग़लती हैं ना कोई सजा किसी जुर्म कि
बस खुली उड़ान है हर मुजरीम कि
एक और जुर्म करने कि
जहाँ ना अनुशासन है ना शासन हैं
लोग बैठें तो है कुर्सियों पे
भर तों रहे है अपनी झोलियों में
कर सकते हो तो करो ना
उठ कर फिरसे लड़ो ना
अपने भारत को अपने लोगों को अब तुम बचाओ ना
फिर से उठ कर इसको आग से अब तों तुम इसको बचाओ ना
फिर से अपने भारत को महान एक बार तुम बनाओ ना।