ओ साथी हमदम
ओ साथी हमदम
समझे जो मुझे मुझसे बेहतर,
चले मेरे साथ वो हर कदम।
जिसकी आंखों में ठहरा सुकून हो,
जो झूठ और फरेब से बेहद दूर हो,
पढ़े जो मुझे एक किताब की तरह,
रहे जो साथ साये की तरह।
समझे जो मुझे मुझसे बेहतर,
चले मेरे साथ वो हर कदम।
ज़रा हौले सुनो ओ हमदम मेरे,
खुदा ने जोड़े है ये धागे दिलों के,
मेरे आंगन में आज चांदनी उतर आई है,
आंचल में आपने हजारों पैगाम ले आई है।
समझे जो मुझे मुझसे बेहतर,
चले मेरे साथ वो हर कदम।
वो हो एक राग सा जिसके बोल मैं बनू,
हो कागज़ वो कोरा जिसकी सिह्यई मैं बनू,
हो रुत वो सावन की मैं झूमू जिसमे,
पिरोए है मैंने मोती आस की माला में पिया मिलन के।।
समझे जो मुझे मुझसे बेहतर,
चले मेरे साथ वो हर कदम।
बिन बोले सुने जो बातें अनकही,
जिसके साथ सफ़र की तरह बीते ज़िंदगी,
दर्द दुख हर लम्हे का जो हमराही हो,
यूं काश किसी से इन राहों में ऐसे ही मुलाकात हो।