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Kumar Aman PM

Drama

5.0  

Kumar Aman PM

Drama

अजीब सी दास्ताँ

अजीब सी दास्ताँ

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अजीब सी दास्ताँ दे रही यह जिंदगी

खुद की आत्मा से दूर हो रही हर खुशी।


कुछ हलचल सी हो रही इस दिल की

एक पल को रुक सी गयी है यह जिंदगी।


आगे निकलने की चाहत में था दूर खड़ा

पर यहाँ तो हर रास्ते ही बदल गयी।


सोचा आगे निकल आया तो ठहर सा गया

पर जिंदगी में मानो कुछ कमी सी रह गयी।


खुद से मिलने की चाहत ने मुझको

अपनी जिंदगी से ही मुझको दूर कर दी।


क्या यही सच्चाई थी मेरी जिंदगी की

कुछ पाने की चाहत सब कुछ खत्म कर दी।


जहां थी मेरी हर पल की वो खुशी

क्यों अब दर दर सी अब भटक रही।


अजीब सी दास्ताँ दे रही यह जिंदगी

खुद की आत्मा से दूर हो रही खुशी।


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