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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

गम की दास्तां

गम की दास्तां

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हर गम की अपनी दास्तां है।

सुनोगे तो रो दोगे।।

हर गम का अपना आसमां है।

देखोगे होश खो दोगे।।


हर गम की अपनी जुबां है।

बोलोगे शब्द खो दोगे।।

हर गम का अपना जहां है।

घूमोगे जमीं खो दोगे।।


हर गम का अपना आशियां है।

खोजोगे शीशा तोड़ दोगे।

हर गम का अपना मकान है।

रहोगे हंसना छोड़ दोगे।।


हर गम का अपना ही मकां है

पहुंचोगे कहराना छोड़ दोगे।

हर गम की अपनी मुस्कान है 

हंसोगे आंसू बहाना छोड़ दोगे।।


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