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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

पेपर लीक

पेपर लीक

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ऐसे बार-बार होते, पेपर लीक

बताते सरकार है, कितनी वीक

कैसे होगी बेरोजगारों की जीत

रोशनी लूट रही है, अंधेरे बीच


जनता हाथ जोड़ खड़ी, विनीत

बदलो सरकार पेपर लीक, रीत

दोस्त क्या शत्रु भी होंगे, मुरीद

भ्रष्टाचार के खत्म कर दो, मीत


चाहे पत्थर से करनी पड़े, उम्मीद

मेहनत के गाएंगे, फिर भी गीत

कठोर मेहनत से लगाया है, बीज

कैसे न खिलेंगे फूल, शूलों बीच


सरकार जागे, तोड़े कुंभकर्णी नींद

मिटा दे, रोज-रोज होते, पेपर लीक

न तो सरकार कैसे खो देगी, जमीन

चुनाव में रह गये, अब बस दिन तीन



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