ऐ जिन्दगी
ऐ जिन्दगी
ऐ जिन्दगी क्या है तू ?
खुशी, गम, अहसास,
मोहब्बत या कुछ और।
ऐ जिन्दगी क्या रूप है तेरा ?
तपती रेत, सावन, खिलते गुलाब,
झरनों का मदमस्त पानी या पतझड़,
कठोर पहाड़ या कुछ और।
ऐ जिन्दगी क्या बोली है तेरी ?
चिड़ियों का चहचहाना,
नदियों की कलकल आवाज,
फूलों पर भंवरों की गुंजन,या कुछ और।
ऐ जिन्दगी कई रूप है तेरे,
कई एहसास है तेरे,
अबोध बच्चे की मुस्कान में है,
एक बूढ़े की लाठी भी तू है,
दुल्हन के घुंघट में तू है,
नवयुवक की चाल में भी तू है,
आंखों के पानी में तू है तो
होंठों की मुस्कान भी तू है।
हंसी और गम दोनों है तू।
ऐ जिन्दगी क्या है तू।