अधूरी दुआ
अधूरी दुआ
इश्क समझने के लिए यह जिंदगी भी कम है यारों,
हर मोड़ पर इसकी एक नई परिभाषा मिलती है,,
कभी हँसी में बिखरी खुशबू सी,
तो कभी अश्कों में डूबी ख़ामोशी सी,,
यादों की गहराइयों में जब डूबे,
तो उसकी हर एक सांस में अपना वजूद मिलता है,,
वो लम्हे जो बीत गए,
आज भी मेरी रूह तक छू जाते हैं,,
कभी खूबसूरत ख्वाब बनकर,
तो कभी तन्हाई का एक साया बनकर,,
इश्क हर रूप में जीना सिखा जाता है,
कभी खुद से मिला देता है,,
तो कभी खुद से ही दूर कर जाता है,
इसकी कोई मंज़िल नहीं होती,
बस एक सफर होता है,,
जिसमें हर मोड़ पर एक नया इम्तिहान होता है,
कभी खुद को भूलकर उसे पाने की चाहत,,
तो कभी उसे खोकर खुद को पाने की तड़प,
इश्क एक अहसास है,
जो न छू सकते हैं, न समझ सकते हैं,,
बस इसे महसूस किया जाता है,
कभी हँसी की तरह,
कभी आंसू की तरह,,
और कभी एक अधूरी दुआ की तरह…
