STORYMIRROR

Gunjan Johari

Abstract

4  

Gunjan Johari

Abstract

चुप्पी

चुप्पी

1 min
10

क्या किसी ने मेरी चुप्पी को पढ़ा है,
जाना है कभी मेरे दिल का हाल,,
खामोशियां मुझे क्यों भानें लगी,
तन्हाइयों से क्यों दोस्ती होने लगी,,

हर सवाल अब बेफिजूल सा लगता है,
जवाबों में भी अब कोई जादू नहीं रहा,,
छुपा रखा है दर्द को इस दिल के कोने में,
जहाँ कोई ना आ सके, कोई दस्तक भी अब नहीं रहा,,

ख़ामोशी ने मेरे गीत छीन लिए हैं,
आँखों ने भी अब कुछ कहने से इनकार कर दिया,,
अब तो बस यादों की तपिश है साथ मेरे,
जो हर साँस में, हर धड़कन में भर गई,,

𝒢𝓊𝓃𝒿𝒶𝓃 𝒿ℴ𝒽𝓇𝒾


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract