एक दूसरे को पाए हैं
एक दूसरे को पाए हैं
मैं तुझे छोड़कर जा भी कहाँ पाता हूँ,
तेरी सांसों में घुलकर, तुझमें ही बस जाता हूँ,,
कभी ठंडी हवा बनकर तेरे गालों को सहलाता हूँ,
कभी बारिश की बूँद बनकर तुझमें ही समा जाता हूँ,,
जब तेरी पलकों पर ओस की नमी उतरती है,
मैं बनकर अहसास तेरी रूह में उतरता हूँ,,
फूलों की पंखुड़ी छूती है जब तेरी कोमल उंगलियाँ,
मैं खुशबू बनकर तेरी सांसों में महक जाता हूँ,,
न तू मुझसे जुदा, न मैं तुझसे अलग,
जिस्म चाहे दो हों, पर रूहों का फ़ासला नहीं,,
हम धड़कनों की तरह एक-दूजे में समाए हैं,
बिना कहे भी, हर लम्हा एक-दूसरे को पाए हैं,,
𝒢𝓊𝓃𝒿𝒶𝓃 𝒿ℴ𝒽𝓇𝒾

