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Gunjan Johari

Drama Tragedy

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Gunjan Johari

Drama Tragedy

थक गए दौड़ते दौड़ते

थक गए दौड़ते दौड़ते

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थक गए दौड़ते-दौड़ते ज़िंदगी में यारों,

कभी अपनों से, कभी शोहरत के पीछे,, 

दौलत बहुत कमाई हमने, पर

फिर भी आज हाथ खाली लिए खड़े हैं,, 


चारों ओर शोहरत के किस्से हैं मेरे यारों,

पर चेहरे सब अजनबी हैं,, 

न कोई अपना रहा, न कोई दोस्त ही रहा,

हर रिश्ता जैसे कहीं खो गया हो,, 


ख्वाब थे जो संजोए, अब अधूरे से लगने लगे,

मंज़िल मिली पर सुकून अब पीछे छूटने लगे,, 

अब सोचते हैं, काश दौड़ के बदले,

थोड़ा रुक गये होते, किसी अपने के गले से लग गए होते,, 


थोड़ी हँसी, थोड़ी बातें,

थोड़ा वक़्त अपनों के साथ बिताया होता,, 

काश लौट पाते फिर जहाँ, हँसी की कोई कीमत न थी,

जहाँ प्यार बिना शर्त मिलता था जहाँ रिश्ते मतलबी न थे,, 


जिस दौलत के पीछे भागते रहे उम्रभर,

वो बस कागज़ के टुकड़े ही निकले,, 

जिस शोहरत के लिए अपनों को छोड़ा,

वो भी अजनबियों और मतलबी रिश्तों का खिलौना बन गये,,


अब आईना देखूँ तो चेहरा अपना ही अजनबी सा लगे,

आँखों में अपनी एक इंतजार ही मिलें,,

खुद से ही सवाल करते हैं हम रोज़,

क्या सच में यही मेरी जीत है?



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