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Kumar Aman PM

Drama

5.0  

Kumar Aman PM

Drama

अपनों का साथ

अपनों का साथ

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ना रहे अब रिश्ते नाते

ना रहा अब वो प्यार

लोगो को नही भाता

अब अपनों का साथ ।


दूर गगन में सभी कोई

बने फिरे है सूरज जैसा

दे ना सकते छांव किसी को

चमकीला है पर सबसे अकेला ।


छोटी छोटी बातों से अब

होने लगी हैं अपनों में दरार

कहाँ गया वो बचपन का प्यार

जब खेलते थे सारे खेल एक साथ ।


हर एक मुश्किल को लेते थे

बड़े ही प्यार से संभाल

काश कोई लौटा दे सबको

वो अपनो का प्यार ।


फिर मिल जाते सारे रिश्ते नाते

सबको मिल जाता अपनो का साथ ।


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