लॉन्ग डिस्टेंस पैन
लॉन्ग डिस्टेंस पैन
यँ तो हक मेरा है और पूरा हक है भी नहीं,
तुम मेरे होकर भी पूरी तरह से मेरे हुए नही।
ख्वाब तो दोनों के एक है मगर रास्ते है अलग,
तुम्हे पाकर भी अधूरी हूं में ये कैसी है सुलग ?
रोज इंतजार में तुम्हारे कदमों की आहट आती रहेगी,
मायूसियत तुम्हारे कदमों के जाने की
तड़प दिल को उलझाती रहेगी।
