आहट इंतज़ार की
आहट इंतज़ार की


उसके इंतज़ार में जैसे समय मेरा थम सा गया,
मानो जैसे किताब में रखा गुलाब सुख सा गया।
फोन में आती हर एक आहट उसकी लग रही,
किसी और की आवाज़ जैसे उसकी ही सुनाई देने लगी।
हा हा ये समय ही तो है जो ले रहा इम्तेहान,
आहट इंतज़ार की से दूरी नहीं लेकिन बढ़ रहा मेरा प्यार बेइन्तहान।