ट्रिब्यूट टू इरफान खान
ट्रिब्यूट टू इरफान खान
इस जीने में कहीं हम भी थे,
थोड़ी खुशी थी और गम भी थे।
वक़्त ने पहले ही वक़्त दे दिया था,
लेकिन जितना वक़्त मिला उससे
थाम के जो रखना था।
मुस्कुरा के सारे पलों को जो
मैंने थाम लिया, गम को छुपाकर
खुशियों का ही दामन पकड़ लिया।
बस यूं ही अपना किरदार निभाता रहा,
बहुत कुछ अपने आप को और थोड़ा
कुछ दुनिया को मैं सिखाता रहा।