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Rajit ram Ranjan

Drama Classics Inspirational

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Rajit ram Ranjan

Drama Classics Inspirational

इंसानियत...!

इंसानियत...!

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कहने को तो

धरती पर,

हम

सभी इंसान

हैं,


मगर

सच में क्या

इंसानियत

दिखती

हैं


किसी में,

हम किसी जाति के हैं,

किसी

धर्म के हैं,

किसी

मज़हब के हैं,


या फिर

किसी

सम्प्रदाय के हैं,

गोरे हैं,

काले हैं,

सुन्दर हैं,

बदसूरत आदि हैं,


मगर कहीं

पर

भी

इंसान नहीं हैं,

मेरी

कोशिश हैं कि

हम सब

इंसान बन जाये पहले..


ये छुआ-छूत,

ऊँच-नीच,

बड़े-छोटे का

भेदभाव

हमारे

समाज से ही

ख़त्म होना

चाहिए,


हम सब सिर्फ़ इंसान हैं,

औऱ इंसानियत

के

नाते हम सब

एक

हैं,

सिर्फ़ 

हिंदुस्तानी...


हमारी

जाति इंसानियत,

हमारा धर्म इंसानियत,

हमारे मजहब,

सम्प्रदाय इंसानियत,

हमारी

रीती-रिवाज़,भेष-भूसा,

रहन-सहन,

खान-पान,उठना-बैठना,

बोली-भाषा,खेल-त्यौहार,

भले ही अलग है,


मगर हमें एक

रहना हमारा संविधान भी

सिखाता हैं,

एकता में जो ताक़त है

वो दुनिया में

कहीं नहीं..!


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