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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

4  

Phool Singh

Drama Classics Inspirational

मन सुंदर तो

मन सुंदर तो

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कुछ ऐसे कर्म भी होते यारों,

जिनसे मन की तृप्ति होती  

जिनसे खुशियाँ मिलती अन्तर्मन को 

अनुभूति होती अजीब नई।


दो रोटी जो गाय को दे दो,

पीड़ा घर-परिवार की दूर सभी 

सुबह-शाम घर देव विराजे 

हो नर-नारी में पुजा-अर्चना संग मन भक्ति भी।


व्यापार संग रोजगार बढ़ेगा, होगी पक्षियों की तृप्ति भी 

धन-संपदा भी घर को आए 

उन्हे नियति हो दाना-पानी देने की।


दूध-रोटी दो कुकुर को बंधु, दुश्मनों की हो छुट्टी भी 

यम-शनि देव खुश हो जाते 

धर्म-कर्म में होगी वृद्धि भी।


पितृ दोष से मुक्ति मिलती, काली चीटी होती चोटी सी 

पूर्वज अपने आशीष-आशीर्वाद देते 

दिन-दोगुनी रात-चौगुनी होती उन्नति भी।


खोई समृद्धि वापस मिलती,

सुनहरी मछ्ली पाली कभी 

आटे की छोटी-छोटी गोलियों को दे दो

दौड़ी आती घर लक्ष्मी भी।


मात-पिता की सेवा जहां हो,

वहाँ विराजे देवता सभी 

धर्म-कर्म में होती वृद्धि 

तब खुश हो जाते देवता सभी


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