नारी सशक्तिकरण
नारी सशक्तिकरण
आज की नारी मोहताज नहीं किसी की, क्यों कहते हैं सभी।
जैसे की भारत की नारी को शक्ति-स्वतंत्रता मिली हो अभी।
क्या हजारों साल से यहाँ थी नारी अबला, असहाय, पराश्रिता?
शास्त्र हमारे कहते आये यत्र नार्यंस्तू पूज्यते, रमंते तत्र देवता।
शक्ति उत्पत्ति का आधार है, सरस्वती से मिलता समस्त ज्ञान।
लक्ष्मी श्रोत हैं वैभव का जग में, करे न कोई किंचित अभिमान।
कृष्ण हुये मूर्छित रण में तब, सत्यभामा ने नरकासुर संहार किया।
केकयी के कौशल ने भी युद्ध में, दशरथ के प्राणों को बचा लिया।
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गार्गी मैत्रेयी उभया भारती सी, विदुषियों से शोभित हुआ ये देश।
लक्ष्मी झलकारी दुर्गावती जैसी, वीरांगनाओं का न भूले सन्देश।
नारी चाहे जो वो कर सकती है, कला क्रीड़ा शासन विज्ञान।
उसको रोकने का कभी नहीं था, अपने धर्म में कोई विधान।
नारी सशक्तिकरण की आड़ में क्यों, घर में आग लगाते हो?
नर नारी हैं पूरक एक दूजे के, इनको क्यूँ कर भड़काते हो?
भिन्नता और भेदभाव का अंतर समझो, बस यही एक राज है।
ना नर है नारी पर आश्रित और ना नारी नर की मोहताज है।