रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
थाली सजा मेरी बहना आई
लेने नहीं मुझे देने आई है
भूल चुका मैं जिस प्रेम को
उसे जगा, मुझसे मिलने आई है।
राखी नहीं ये रक्षा सूत्र है
आई, ये याद दिलाने है
बहुत गहरा है भाई-बहन का संबंध
बताने यही तो आई है।
रोती को था जो हँसा देता
रोने, उसके संग आई है
समस्या नहीं उसका हल ढूंढकर
छुटकारा, उससे दिलाने आई है।
कर्तव्य मेरा मुझे बताने
याद, फर्ज़ कराने आई है
प्रेम-सौहार्द का पवित्र नाता जो
उसमे मजबूती संग विश्वास बढ़ाने आई है।
तिलक, चन्दन संग राखी लाई
अपने हाथों से, मुझे मिठाई खिलाने आई है
खुशियाँ लौटाने सुने घरों में
राखी के बहाने आई है।