एक निश्छल इंसान
एक निश्छल इंसान
कड़वा है कड़वा सही
न शुगर किसी को करता
मीठे होते बडे़ ही प्यारे
फिर भी करेला अच्छा।।
कठोर वाणी भला करेगी
मार्ग सही दिखेगा
क्रोध में भी तेरा हित छिपा हो
सदा कल्याण का मार्ग खुलेगा।।
जीवन में कभी समझ सके न
ऐसा मीठा वार करेगा
विश्वास न होगा कभी जीवन में
क्या हितैषी भी ऐसा होगा।।
बुरा होता करेला सदा ही
शकल-सुरत से भद्दा
हसीन होता धोखेबाज का चेहरा
वाणी में शहद मिलेगा।।
उसे समझो जो कड़क बोलता
सदा हित की बात करेगा
हर दम तेरे रहे
तू समस्या में जब भी घिरेगा।।
डरपोक किसी का सगा न होता
खड़ा, कठिन वक्त में दूर मिलेगा
आलसी भी सदा ले डूबता
कोई अपना या कर्मवीर ही साथ चलेगा।।