चलो, आज आँसुओ की बूंदों को कटघरे में खड़ा करते हैं। चलो, आज आँसुओ की बूंदों को कटघरे में खड़ा करते हैं।
मत गुज़र ख़ाक पर शहीदों की चैन ले टुक मज़ार में कोई। मत गुज़र ख़ाक पर शहीदों की चैन ले टुक मज़ार में कोई।
किसी दूसरे के चेहरे की मुस्कराहट मैं भी मिलेगा। किसी दूसरे के चेहरे की मुस्कराहट मैं भी मिलेगा।
चलो आज फूल चढ़ाते हैं, शहीदों की मज़ार पर। चलो आज फूल चढ़ाते हैं, शहीदों की मज़ार पर।
"स्वरूप" की मजबूरी थी,चंद सिक्कों में उलझा था। वरना सीने में बसा लेता, मैं चीर कर मेरी "स्वरूप" की मजबूरी थी,चंद सिक्कों में उलझा था। वरना सीने में बसा लेता, मैं ची...
अब नींद में चलने लगा हूँ अब अंधों सा रहने लगा हूँ ! अब नींद में चलने लगा हूँ अब अंधों सा रहने लगा हूँ !