वफ़ा/जफ़ा
वफ़ा/जफ़ा
प्यार करो या जुल्म, शिकवा हम नहीं करते।
यकीनं बंजर जमीं पर,फूल खिला नहीं करते।।
तुम मिटा दो हमें दिल से, इंकार नहीं करते।
हम जैसे दीवाने, किसी को मिला नहीं करते।।
तुझे पा ना सकु, तो मुझे कोई गम नहीं।
तुझे याद भी ना करें, ऐसे हम भी नहीं।।
मेरे दिल में बसी हो तुम, जैसे लहू मेरा।
तू ना मिली, तो इससे बड़ा गम भी नहीं।।
मुझे तुमसे मोहब्बत है, ये कह दूं बीच बाजार।
यादों में बनाये अक्स,देखके सूरत तेरी हजार।।
"स्वरूप" की मजबूरी थी,चंद सिक्कों में उलझा था।
वरना सीने में बसा लेता, मैं चीर कर मेरी मजार।।
