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R.S.MEENA Indian

Inspirational

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R.S.MEENA Indian

Inspirational

कबीरा

कबीरा

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निर्धन रोता चीखता,ये दर्द सुने ना कोय ।

सत्ता रे लालच खातिर,देत मदिरा तोय ।।

बूढ़ी माँ की कद्र नहीं,ऐसा जग में होय ।

जग की हालत देखके,दिया कबीरा रोय।।

अपनो को जिसने खोया,रात रातभर रोय ।

आंखों से ज्वाला निकले,दर्द सुनकर मोय ।।

बेन बेटी का जुल्म भी हो गया हैं सीमापार ।

दुनियां सारी बावरी,या आंख मूंदकर सोय ।।

बेच बेचकर सबको खाये काम किसका होय।

हम रोये फिर जग रोयेगा,नाम जिसका दोय।।

कहे कबीर सुनो "स्वरूप"अब जनता की बारी।

अपनों का भी ना हुआ,वो अब किसका होय ।।


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