ज़ुल्म
ज़ुल्म
हर तरफ काहिल छिपे हैं ,फैल रहा नफरत का द्वेष ।
बहन बेटी पे हो रहा जुल्म,खींच रहा है उनका केश ।।
हदें पार कर चुका अत्याचार,देखो जिधर है दंगेबाज ।
किसे कहोगे कौन सुनेगा, वो फिरता है देश-विदेश ।।
सोहबतों की सुनता बात ,देता है वो उनका साथ ।
बनकर वो बहरूपिया ,बदल रहा है अपना भेष ।।
बच्चियों को भी न छोड़ा, बना लिया है वर्ल्ड रिकॉर्ड ।
मिटा दिया जाए,गर ख़िलाफ़ हो जाये उनके कैश ।।
वो क्या बेचा है क्या बेचेगा ,मैं कितने गिनवाऊं नाम ।
वो नजरअंदाज कर देते ,चाहे जीत के आये कोई रेस ।।
साथी जिसके भाग रहे है ,वो अश्लीलता ला रहे हैं ।
अपनी को त्याग दिया,और तीन तलाक़ को करता पेश ।।
माँ बहनों से विनती करे "स्वरूप" उसे दिखाओ अपना रूप ।
हटा के धारा छिपाया राज सारा, और मिटा दिया अपना क्लेश ।।