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R.S.MEENA Indian

Tragedy

4  

R.S.MEENA Indian

Tragedy

ज़ुल्म

ज़ुल्म

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हर तरफ काहिल छिपे हैं ,फैल रहा नफरत का द्वेष ।

बहन बेटी पे हो रहा जुल्म,खींच रहा है उनका केश ।।


हदें पार कर चुका अत्याचार,देखो जिधर है दंगेबाज ।

किसे कहोगे कौन सुनेगा, वो फिरता है देश-विदेश ।।


सोहबतों की सुनता बात ,देता है वो उनका साथ ।

बनकर वो बहरूपिया ,बदल रहा है अपना भेष ।।


बच्चियों को भी न छोड़ा, बना लिया है वर्ल्ड रिकॉर्ड ।

मिटा दिया जाए,गर ख़िलाफ़ हो जाये उनके कैश ।।


वो क्या बेचा है क्या बेचेगा ,मैं कितने गिनवाऊं नाम ।

वो नजरअंदाज कर देते ,चाहे जीत के आये कोई रेस ।।


साथी जिसके भाग रहे है ,वो अश्लीलता ला रहे हैं ।

अपनी को त्याग दिया,और तीन तलाक़ को करता पेश ।।


माँ बहनों से विनती करे "स्वरूप" उसे दिखाओ अपना रूप ।

हटा के धारा छिपाया राज सारा, और मिटा दिया अपना क्लेश ।।


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