हर तरफ काहिल छिपे हैं ,फैल रहा नफरत का द्वेष । हर तरफ काहिल छिपे हैं ,फैल रहा नफरत का द्वेष ।
सिर्फ कोसते हुए काहिल है, खुद को बताते तो ज्ञानी है सिर्फ कोसते हुए काहिल है, खुद को बताते तो ज्ञानी है