रम का प्याला
रम का प्याला
मिटाया है हमने पी-पीकर, हर गम का छाला ।
मैं गम का रोगी, मेरी दवा है रम का प्याला ।।
दिया है जिसने टूटते ,हर इंसान को सहारा ।
जात धर्म से दूर है वो देकर मरहम का प्याला ।।
कोई इसको बुरा कहे तो कोई जान से प्यारा ।
जिसे पिये गोरा काला,उसे कहूँ रम का प्याला ।।
गम खुशी में साथ रहती ज्यादा पीओ कभी न कहती ।
निकाले उसका दिवाला जो ज्यादा पिये रम का प्याला ।।
जैसे है खाने का वक़्त ,वैसे ही पीने का वक़्त ।
पानी संग मुझको पीना,लेके तुम रम का प्याला ।।
कोई कहे पाठशाला,तो कोई कहता इसको हाला ।
कोई कहे मधुशाला ,इसे मैं कहूँ रम का प्याला ।।
गम भरी नगरी में "स्वरूप" जपे दिन रात ये माला ।
ना मैंने कभी गम को पाला,पीता हूँ रम का प्याला ।।