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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

शुरुआत

शुरुआत

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खामोशी की जींदगी मैं बिता रहा हूं,

दुःखों की पीड़ा मैं सहे रहा हूं,

बदनामी का दाग मिटाने के लिए मैं ,

अपना चेहरा छूपा रहा हूंं।


दुनिया की नजरों से मैं गिर चुका हूः,

ईर्ष्या की आग से मैं जल रहा हूं,

नफ़रत भरी नजर से बचने के लिये मैं ,

अपना चेहरा छूपा रहा हूं।


सुनसान गलियों में मैं भटक रहा हूं,

पत्थरें और ठोकरें खा रहा हूं,

मेरे चेहरे पे कोई न थूके इसलिये मैं ,

अपना चेहरा छुपा रहा हूं।


भूख और प्यास से मैं तड़प रहा हूं,

जिंदा कफन अब मैं बन गया हूं,.

नई जींदगी की शुरुआत के लिये "मुरली", 

खुदा की कयामत की राह देख रहा हूं।



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