दुआएँ फिर भी सबको हँसकर दिए जा रहा हूँ। दुआएँ फिर भी सबको हँसकर दिए जा रहा हूँ।
नफ़रत में इंकार ही इंकार इस बात का इकरार न जाने कब करेगा यह संसार? नफ़रत में इंकार ही इंकार इस बात का इकरार न जाने कब करेगा यह संसार?
बसंत ऋतु आई है , हर रँग पर रौनक छाई है , बस एक रँग है ऐसा जिससे , हर दिल में उदासी छ बसंत ऋतु आई है , हर रँग पर रौनक छाई है , बस एक रँग है ऐसा जिससे , हर दि...
जो दुनिया बनाई है तूने प्रभू, हो गया क्या उसे मैं समझता नहीं। जो दुनिया बनाई है तूने प्रभू, हो गया क्या उसे मैं समझता नहीं।
हँसते खेलते परिवारों को बेजार कर देते हैं। हँसते खेलते परिवारों को बेजार कर देते हैं।
यह कविता उस मासूम की सच्चाई है जिसके साथ जघन्य अन्याय हुआ था। यह कविता उस मासूम की सच्चाई है जिसके साथ जघन्य अन्याय हुआ था।