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Praveen Gola

Others

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घाटी का बसंत

घाटी का बसंत

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बसंत ऋतु आई है ,

हर रँग पर रौनक छाई है ,

बस एक रँग है ऐसा जिससे ,

हर दिल में उदासी छाई है।


वो रँग है नफरत का ,

वो रँग लहू का लाल ,

जिस रँग से घबराते हैं ,

भारतवासी हर साल।


हमारे सैनिक बन्दूकें थामे ,

रक्षा करते सीना ताने ,

हर ऋतु उनके लिए समान ,

करो उनका सब सम्मान।


वो खिलने देते वहाँ फुलवारी ,

जब भी होती गोलाबारी ,

तभी बसंत वहाँ आ पाता ,

जो लाल रँग को पीले में बदल जाता।


असली बसंत ऋतु का आगमन ,

घाटी में जाकर देखो ,

जहाँ नफरत की होली जलती ,

और बसंत ऋतु की लड़ियाँ खिलती।



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