STORYMIRROR

प्रभात मिश्र

Tragedy

4  

प्रभात मिश्र

Tragedy

चालीस बसंत

चालीस बसंत

1 min
374

कैसे चालीस ,बसंत बीते वर्ष रिक्त रहे, और

पल रीते

कैसे चालीस

बसंत बीते

भरे ऊहापोह

अनुभव तीते

कैसे चालीस

बसंत बीते

है स्वजन दग्ध

भीते भीते

कैसे चालीस

बसंत बीते

उत्सव उदास

और मन फीके

कैसे चालीस

बसंत बीते

बालक से

सीधे वृद्ध हुये

यौवन के वर्ष

गये रीते

कैसे चालीस

बसंत बीते 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy