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प्रभात मिश्र

Tragedy

4  

प्रभात मिश्र

Tragedy

बिखरे ख्याल

बिखरे ख्याल

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4

बिखरे बिखरे से ख्यालात कई

लड़ते रहते हैं जज़्बात कई
सुलह की कोशिश जो कभी करता हूँ
बिगड़ने लगते हैं हालात कई

समझ से परे हैं बात कई
दुश्मनी से बुरी इमदाद कई
होम करने में हाथ जलते हैं प्रभात
अज़ल से बुरी हयात कई


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