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प्रभात मिश्र

Romance Tragedy

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प्रभात मिश्र

Romance Tragedy

काश

काश

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शब्दों को चुना तुमने

शब्दों को सुना तुमने

कुछ कार्य चुने होते 

कुछ कार्य गुने होते 


मै व्यक्त न कर पाया

शब्दों में सही जिनको

मूक नयनों के वो तुमने

मेरे संवाद सुने होते 


कह कर ही मैं बताता

या मैं स्वयं समझाता 

यदि एकात्मता के मैनें

ना भाव चुने होते 


मुझे लग रहा था 

मेरा ही भाग हो तुम

काश दिवास्वप्न ऐसे

मैने ना बुने होते 


शब्दों को सुना तुमने

शब्दों को चुना तुमने

मेरे कुछ कार्य काश

प्रभात ने चुने होते।


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