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Gokul Patil

Romance

4.5  

Gokul Patil

Romance

✍🏻_सितमगरी फूर्कत_✍🏻

✍🏻_सितमगरी फूर्कत_✍🏻

1 min
720


मुद्दतों की कि हुई मशक्कर्त, मुझे आज सुर्ख-रू बनाती हैं,  

कोई दिवाना कहता हैं, कोई पागल समझता हैं..,  

तू मुझसें दूर कैसी हैं, मैं तुझसें दूर कैसा हूँ...,  

मेरे ख्वाबों की ये कश्तियाँ, मुझे शोहरत बनाती हैं। 


तेरे जिस्म की ये खुशबूँ, मुझे कशिश कराती हैं,  

तु कैसी हसिना हैं ?, मैं कैसा हसिना हूँ ?..,  

तू मुझसे दूर कैसी हैं, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ...,

तेरे इस लुल्फ का आबशार, मुझे सुकून दिलाता हैं। 


कैसा सितमगर हैं ये चाँद ?, जो मुझे फू्कर्त में रखता हैं,  

मेरे यादों का ये आतिश, मुझ पर कैसा सुलूक करता हैं..,  

तू मुझसे दूर कैसी हैं, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ...,

तेरे दिल का ये जर्रा, मुझे वस्ल का एेहसास दिलाता हैं। 

इख्तिलाफ भरी ये जीस्त हैं कैसी ? जो बे-शुमार तीरगी लाती हैं,  

कैसा नायाब हैं ये शम्स ?, जो मुझे तुमसे मुखालिफ नहीं करता,  


तू मुझसे दूर कैसी हैं, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ...,

तेरे खुलूस की हाजत, तुझे मेरी हमदम बनाती हैं। 

मुझे कभी जर्ब ना देना!, मैं तुमसें प्यार करता हूँ,  

एहतिराम की ये नूर, मैं तुम पर अदा करता हूँ,  

तू मुझसे दूर कैसी हैं, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ...,

तेरे हस्ती का ये लुल्फ, मुझे जन्नत बना देगा। 


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