महबूब मेरे
महबूब मेरे
महबूब मेरे
तेरे आंचल तले
सुकून वह मिले
तलब जिसकी हमें
जन्मो से रही
महबूब मेरे।।
खिले खिले से
कमल की तरह
लब जब भी तेरे
कुछ कहे
हमें सुना जाते
अनकहे सिलसिले
महबूब मेरे।।
झुकी पलक के तले
नयन का तेरे
मग्न करता
यह जादुई कौशल
लुभाता हमें
दिखते हैं गाते
गीत सुहाने सुहाने
महबूब मेरे।।
मेहंदी रचे
हथेली यह तेरे
हर रंगों के फूल
खिला देते
हसीन ख्वाबों में मेरे
सारे के सारे
महबूब मेरे।।
छन छन खनकते
यह पाजेब तेरे
सजते हैं ऐसे
मतवाले धुन पर
थिरका दे जां मेरा
थिरकते मयूर
देख जैसे बादल घनेरे
महबूब मेरे
महबूब मेरे।।

