ये इश्क है या नहीं
ये इश्क है या नहीं
ये इश्क है या नहीं हमको ही ख़बर नहीं
नादान मुसाफिर को
रास्तों की ख़बर नहीं
हमने खुसरो से सुना
है डूबना मंजिल की डगर
इसके आगे की हमें
कोई ही ख़बर नहीं
इश्क एहसास है या ख़ुशबू
या जुगनू या चिराग
अपने वज़ूद में हम थे
अब हम, मगर नहीं
तुम्हें जो मानना मानो
जो समझना है समझो
पर जहाँ दोनो बचे रहे
वो इश्क की डगर नहीं
तू सलामत रहे
मयख़्वार औ शादाब रहे
बचा हम में हमारा
कुछ भी, मगर नहीं
ये इश्क है या नहीं
प्रभात को ही ख़बर नहीं

