देव दीपावली
देव दीपावली
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अगणित दीपों से जगमग
सुरेश्वरी के वो पावन तट
बने आह्लाद के सब क्षण
आयें काशी में नक्षत्र गण
खतम कर त्रिपुर का साम्राज्य
पधारे शिव थे अपने राज्य
बढ़ाया काशी का सम्मान
दीवोदास ने देकर दान
पधारे थे देव नत आनन
हुआ जगमग था आंनद वन
खगंगा, गंगा का संगम
बनाता दृश्य विहंगम
शोभा सुरसरि की आली
जब आती देव दीपावली
दीपों से सज्जित होते घाट
चमकते वीथी, गृह व बाट
धरा पर उतरता सुरधाम
प्रभात होते हैं पूरनकाम
पयस्विनी को समर्पित पर्व
दिखाता कृतज्ञता एवम् हर्ष।
