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Dr. Akansha Rupa chachra

Romance

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Dr. Akansha Rupa chachra

Romance

शीर्षक- बेनाम रिश्ता

शीर्षक- बेनाम रिश्ता

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गुनाह किये बहुत गुनाहगार हो गये।

आईने में देखा जब

दर्द के हकदार हो गए। 

सबको खुश रखने के लिए , दिल में रख रहे थे ।

दर्द से भरे पलो को चाशनी की मरहम से संजो रहे थे।

समझा दिया एक पल में 

अरे! अहसास के रिश्तों का नाम नहीं होता।

बेनाम रिश्तों के जनाजे को कोई कांधा नहीं देता।

टूटे हुए चुभने पलो को देख 

अपनी वफाओं को निभाते हुए 

अपने ही दिल को दुखाने का गुनाह करते करते।

आईने में प्रतिबिंब न दिखा।

तुम मुझसे समा चुके हो ।


इस तरह .......

बेपनाह प्यार करने का गुनाह देखा।

टूटे अरमान, बिखरते पल, रिसते अहसास देखे।

तेरे आगोश के सुकून लम्हात देखे।

 हर बार मेरी गलतियों का फरमान था।

तुझ से वफा मिले।

मेरा सबसे बड़ा अरमान था।

शायद दिल के दर्द का मीठा सा सामान था।

आँखों से दर्द मोती बन छलकने लगा।

आईना मुझे गुनाहगार समझने लगा।।



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