पहली पहल का पहला प्यार
पहली पहल का पहला प्यार
पहला प्यार की पहली छुअन
मानो पहल ही स्पर्श से दिल के सारे तार छू गये हो
फूल से कोमल हृदय में मानो अपने प्रीत का रंग छोड़ गये हो
जो एक बच्चे की ही भांति निश्चल निस्वार्थ भाव से परिपूर्ण दिल को
अपनी चंचलता से लुभा गया हो
ऐसे संतोष सुख की अनुभूति होती
जैसी पहले ना कभी हुई हो
मन के कोर कागज पर वो सहज ही
मानो एक चित्रकला कर गया हो।

