क्या हुआ, जो आज सुबह थोड़ी देर तक सो लिए, क्या हुआ, जो आज, सुबह की सैर पर नहीं गए। क्या हुआ, जो आज सुबह थोड़ी देर तक सो लिए, क्या हुआ, जो आज, सुबह की सैर पर नहीं ...
जोड़ तोड़ को अब मरोड़ दें यह संकल्प हमारा, कहो कहो क्या। जोड़ तोड़ को अब मरोड़ दें यह संकल्प हमारा, कहो कहो क्या।
तुमहारा बिखरता उद्वेग मेरा चिर प्रतिक्षित समर्पन अब तुमहारा बिखरता उद्वेग मेरा चिर प्रतिक्षित समर्पन अब
कल के लिए- ‘दो पनीली आंखें, एक सजग मन। कल के लिए- ‘दो पनीली आंखें, एक सजग मन।
प्रेम आसान नहीं है, यह तप है सबके बस का नहीं है। प्रेम आसान नहीं है, यह तप है सबके बस का नहीं है।
बेटी देवाशीष है, देवों का वरदान। सरल सहज से भाव हैं, ममता की है खान बेटी देवाशीष है, देवों का वरदान। सरल सहज से भाव हैं, ममता की है खान