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Bhawna Kukreti Pandey

Romance Tragedy Inspirational

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Bhawna Kukreti Pandey

Romance Tragedy Inspirational

प्रेम

प्रेम

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हम अंदर-बाहर जिस रस को जीते है

वही शब्द बन कविताओं में बहते है,

मुझे प्रेम का हर रस भाता है,

यह जीवन उसी में उतराता है,


पर प्रेम के आवरण में

मानसिक हिंसा स्वीकार्य नहीं मुझे,

प्रेम में ये विकृति स्वीकार्य नहीं मुझे,

प्रेम बंधता है तो बढ़ता नहीं

वो खिलता नहीं महकता नहीं

 

हृदय पर जो मेरे 

तुम्हारा आधिपत्य का भाव है,

ये निरंकुश शासक का भाव है,

माना मेरा प्रेम दास्य भाव है,


किंतु ये मेरा अपना स्वभाव है।

इसको सहज रहने दो

प्रेम को खुल के सांस लेने दो,

प्रेमानुभूति का अवसान न होने दो।


यह प्रेम व्यक्ति को भले

'ईश्वर' करता है,

किंतु मनस समर्पित हो

सिर्फ भाव को पूजता है,


सहज सरल प्रेम कोई

उत्तर नहीं मांगता है,

न वो मौन ओढ़ता है

प्रेम विश्वास रखता है,

अपनी बात कहता है

और बस बहता है,

बहता रहता है।


प्रेम आसान नहीं है,

यह तप है

सबके बस का नहीं है।


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