सजग मन
सजग मन
प्रिय डायरी,
जो जिया गया
इतिहास था,
जो जिया जा रहा है
एक समझौता है
अशरीरी है कल
जो जिया जाना है।
व्यर्थ है बहस-
इतिहास की आवश्यकता पर,
समझौतों की अनिवार्यता पर;
कुछ नहीं होना है
उसको ढोने से या
इसको रोने से
हमारे हक में बनता है सहेजें
कल के लिए-
‘दो पनीली आंखें, एक सजग मन।

