तलाश
तलाश
मेरी सोच बस सिमट जाती है तुम तक
फिर भी आह नही पहुंच पाती तुम तक
मैं तो लहरों सी बह चली तुम्हारी तलाश में
न जाने क्यूं अहसास नही करा पाती तुम्हें
मंजिल मेरी है बस तुम तक
हंसने लगे हो अब तो तुम भी हम पर
इबादत हमारी भी बस है तुम तक।

