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bhavi tiwari

Romance

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bhavi tiwari

Romance

तलाश

तलाश

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मेरी सोच बस सिमट जाती है तुम तक

फिर भी आह नही पहुंच पाती तुम तक

मैं तो लहरों सी बह चली तुम्हारी तलाश में

 न जाने क्यूं अहसास नही करा पाती तुम्हें

मंजिल  मेरी  है  बस  तुम तक

हंसने लगे हो अब तो तुम भी हम पर

इबादत हमारी भी बस है तुम तक।



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