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bhavi tiwari

Romance Tragedy

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bhavi tiwari

Romance Tragedy

मौत

मौत

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जाते हुए उसने एक बार जो पलट के देखा

कहने को सांसे चलती रही इस बेजान की


कोई देख न पाया आंखोंं से बहती अश्रु रेखा

हक था ही नही के उसे रोक पाते


 उसे जाने ना देते 

जिस्म से जान बूंद बूंद निकलती रही 


अभी भी एक छटाक जान लिए राह में पड़ी रही

कितना अच्छा होता के वो मिलता ना कभी


हार जाते जिंदगी की बाजी हम सो गए होते तभी।


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